श्रीगोविंदाष्टकम : पापनाशन दुःखदलन नित स्त्रोत ध्यान भजन
कविता रावत
अगस्त 17, 2025
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उन परमानन्दमय गोविन्द की वन्दना करो जो सत्य ज्ञानस्वरूप अनन्त नित्य हैं गगन भिन्न परम गगन स्वरूप हैं व्रज प्रांगण चलते चपल हो रहे हैं निराक...
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