Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
ब्लॉग के माध्यम से मेरा प्रयास है कि मैं अपनी कविता, कहानी, गीत, गजल, लेख, यात्रा संस्मरण और संस्मरण द्वारा अपने विचारों व भावनाओं को अपने पारिवारिक और सामाजिक दायित्व निर्वहन के साथ-साथ सरलतम अभिव्यक्ति के माध्यम से लिपिबद्ध करते हुए अधिकाधिक जनमानस के निकट पहुँच सकूँ। इसके लिए आपके सुझाव, आलोचना, समालोचना आदि का हार्दिक स्वागत है।

Recent Posts

शनिवार, 21 दिसंबर 2024

भूखा कुत्ता डंडे की मार से भी नहीं डरता है। भूख का गणित

दिसंबर 21, 2024
भूख सयानों को भी दीवाना बना देती है  भूख की मार तलवार की धार से भी तेज होती है भूखा कुत्ता डंडे की मार से भी नहीं डरता है भूखा आदमी कौन स...
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मंगलवार, 17 दिसंबर 2024

गरीब, कमजोर पर हर किसी का जोर चलने लगता है!

दिसंबर 17, 2024
स्वर्ण लदा गधा किसी भी द्वार से प्रवेश कर सकता है। शैतान से न डरने वाला आदमी धनवान बन जाता है ।। अक्सर धन ढेर सारी त्रुटियों में टां...
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रविवार, 15 दिसंबर 2024

कहानी इल्लू, टिल्लू और ढिल्लू की

दिसंबर 15, 2024
हमारा परिवार प्रकृति प्रेमी तो है ही साथ में पशु-पक्षी प्रेमी भी है। यह बात हमारे अड़ोसी-पड़ोसी ही नहीं बल्कि जान-पहचान और रिश्तेदार भी भलीभां...
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शुक्रवार, 13 दिसंबर 2024

बहानेबाजों के पास कभी बहानों की कमी नहीं रहती है

दिसंबर 13, 2024
अनाड़ी कारीगर अपने औजारों में दोष निकालता है। पकाने का सलीका नहीं जिसे वह देगची का कसूर बताता है।। कातना न जाने जो वह चर्खे को दुत्कारने ...
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बुधवार, 11 दिसंबर 2024

सोमवार, 9 दिसंबर 2024

जिसकी रोटी खायी उसके गीत गाने वाले विरले मिलते हैं

दिसंबर 09, 2024
जिस धारा का पानी पिया उसे बहुत कम लोग याद रखते हैं जिसकी रोटी खायी उसके गीत गाने वाले विरले मिलते हैं जो पेड़ छाया प्रदान करता है उसकी ...
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गुरुवार, 5 दिसंबर 2024

गधा दूसरों की चिन्ता से अपनी जान गंवाता है

दिसंबर 05, 2024
आदमी काम से नहीं चिन्ता से जल्दी मरता है गधा दूसरों की चिन्ता से अपनी जान गंवाता है धन-सम्पदा चिन्ता और भय अपने साथ लाती है धीरे-धीरे कई चीज...
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बुधवार, 4 दिसंबर 2024

चुप मत रह एक लप्पड़ मार के तो देख

दिसंबर 04, 2024
हर मुश्किल राह आसान हो जाएगी तेरी धीरज रख   आगे कदम बढ़ा के तो देख बहुत हुआ तेरा अब सुनहरे ख्वाब बुनना नींद त्याग और बाहर निकल के तो ...
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सोमवार, 2 दिसंबर 2024

त्रासदी के कड़ियां | भोपाल गैस कांड |

दिसंबर 02, 2024
देखते-देखते भोपाल गैस त्रासदी के 39 बरस बीत गए।हर वर्ष तीन दिसंबर गुजर जाता है और उस दिन मन में कई सवाल उठते हैं, जो अनुत्तरित रह जाते है...
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गुरुवार, 28 नवंबर 2024

जिंदगी में हमारी अगर दुश्वारियां नहीं होती

नवंबर 28, 2024
जिंदगी में हमारी अगर दुशवारियाँ नहीं होती हमारे हौसलों पर लोगों को हैरानियाँ नहीं होती चाहता तो वह मुझे दिल में भी रख सकता था मुनासिब ह...
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बुधवार, 27 नवंबर 2024

बनी विद्वता धन की चेरी गधे खा रहे पंजीरी यहां : राजेन्द्र गट्टानी

नवंबर 27, 2024
कटुता कपट सहेजे मन में मुख पर मीठे बोल यहां। घृणा द्वेष ने ओढ़ रखा है अपनेपन का खोल यहां।। बिकते देखी है नैतिकता दो कौड़ी के मोल यहां। बनी व...
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शनिवार, 23 नवंबर 2024

चल रही गाड़ी बैशाखियों के सहारे

नवंबर 23, 2024
जिसे कहते हैं फर्ज या रिश्ते निभाना आजकल यह सब आखिर कौन निभा रहा है देखो तो जरा अपने आस पास बस ढोह रहे हैं एक दूसरे को चल रही गाड़ी बैशाखियो...
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शुक्रवार, 22 नवंबर 2024

जिसका जहाज डूब चुका हो वह हर समुद्र से खौफ़ खाता है

नवंबर 22, 2024
एक जगह पहुंचकर अच्छे और बुरे में बहुत कम दूरी रह जाती है इने-गिने लोगों की दुष्टता सब लोगों के लिए मुसीबत बन जाती है ! दुष्ट   प्रवृत्त...
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मंगलवार, 19 नवंबर 2024

सोमवार, 18 नवंबर 2024

पर लगाकर जो उड़ना चाहे आसमां में वह जमीं पर भला कैसे चल सकता है

नवंबर 18, 2024
कपोल कल्पित कल्पना में जीने वाले हकीकत का सामना करने से डरते हैं जो हौंसला रखते सागर पार करने की वह कभी नदियों में नहीं डूबा करते हैं ऊंचाईय...
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रविवार, 17 नवंबर 2024

लाख बहाने पास हमारे we have million excuses। हिन्दी गीत

नवंबर 17, 2024
लाख बहाने पास हमारे कैसा फैला झूठा रोग जितने रंग बदलता गिरगिट उतने रंग बदलते लोग नहीं पता कब किसको किसके आगे रोना-झुकना रंग बदलती दुनिया में...
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शुक्रवार, 15 नवंबर 2024

बुधवार, 13 नवंबर 2024

मंगलवार, 12 नवंबर 2024

सोमवार, 11 नवंबर 2024

हाथ में सब्र की कमान हो तो तीर निशाने पर लगता है।

नवंबर 11, 2024
हाथ  में सब्र की कमान हो तो तीर निशाने पर लगता है। आराम-आराम से चलने वाला सही सलामत घर पहुँचता है।। एक-एक पायदान चढ़ने वाले पूरी सीढ़ी चढ...
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परशुराम-लक्ष्मण संवाद। गढ़वाली रामलीला की यादें। सीता स्वयंवर प्रसंग।

नवंबर 11, 2024
         घर और दफ्तर के बीच झूलते रहना ही मेरी विवशता है, लेकिन इस विवशता में खिन्नता नहीं है, बल्कि उसी में आनंद और उत्साह लेने की मेरी ...
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